Income Tax Amount: क्या आप भी नए इनकम टैक्स स्लैब को लेकर परेशान हैं? क्या आपको भी लगता है कि अब आपकी जेब पर ज्यादा जोर पड़ने वाला है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं है। सरकार द्वारा जारी किए गए नए नियमों को लेकर देशभर के सैलरी और बिजनेस क्लास के लोगों के मन में कई सवाल हैं। इस आर्टिकल में, हम आपको नए इनकम टैक्स सिस्टम की A से Z तक पूरी जानकारी देंगे। हम आसान भाषा में समझाएंगे कि नए नियम क्या हैं, पुराने और नए सिस्टम में क्या अंतर है, और आपके लिए कौन सा ऑप्शन बेहतर रहेगा। साथ ही, हम टैक्स बचाने के कुछ आसान तरीके भी बताएंगे।
आपको बता दें कि इस आर्टिकल को पूरा पढ़ना बहुत जरूरी है क्योंकि यहां हमने हर एक पहलू को बहुत ही साधारण शब्दों में समझाने की कोशिश की है। अक्सर लोग टैक्स के नियमों को जटिल समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से बाद में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए, अपनी आर्थिक प्लानिंग को सही दिशा देने और गलतियों से बचने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। हमने यहां हर वो जानकारी देने की कोशिश की है जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
इनकम टैक्स का नया सिस्टम: क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने इनकम टैक्स के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, जिन्हें लेकर लोगों के बीच काफी कन्फ्यूजन है। असल में, अब टैक्सदाताओं के पास दो ऑप्शन हैं: पुराना सिस्टम जिसमें छूट और कटौतियां मिलती हैं, और नया सिस्टम जो सीधा और सरल है लेकिन ज्यादातर छूट नहीं देता। नए सिस्टम में टैक्स की दरें कम जरूर हैं, लेकिन इसमें आप Section 80C (जैसे PF, LIC, ELSS), HRA, होम लोन पर ब्याज जैसी बचत का फायदा नहीं उठा सकते। यही वजह है कि ज्यादातर लोगों के लिए यह फैसला लेना मुश्किल हो गया है कि उन्हें कौन सा रास्ता चुनना चाहिए।
पुराने vs नए टैक्स सिस्टम में मुख्य अंतर
- छूट और कटौती: पुराने सिस्टम में आप विभिन्न निवेश और खर्चों पर टैक्स में छूट पा सकते हैं। वहीं, नए सिस्टम में यह सुविधा बहुत कम है।
- टैक्स स्लैब: नए सिस्टम में टैक्स स्लैब थोड़े अलग हैं और कुछ इनकम लेवल पर टैक्स की दर पुराने सिस्टम के मुकाबले कम है।
- सरलता: नया सिस्टम ज्यादा सीधा और आसान है। इसमें बिना ज्यादा गणना के आप अपना टैक्स आसानी से भर सकते हैं।
आपके लिए कौन सा सिस्टम है बेहतर?
यह फैसला आपकी आमदनी और निवेश पर निर्भर करता है। आपको बता दें, अगर आपकी आमदनी कम है और आप कोई बड़ा निवेश या बीमा नहीं करते हैं, तो नया टैक्स सिस्टम आपके लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें टैक्स की दर कम है। लेकिन, अगर आप हर साल LIC, PF, ELSS फंड, होम लोन, या बच्चों की पढ़ाई पर अच्छी खासी रकम खर्च करते हैं और टैक्स बचाने के रास्ते ढूंढते हैं, तो पुराना सिस्टम ही आपके लिए बेहतर ऑप्शन साबित होगा। एक बार ऑप्शन चुनने के बाद, आप हर साल उसे बदल सकते हैं।
टैक्स बचाने के आसान और काम के तरीके
अगर आपने पुराने सिस्टम को चुनने का फैसला किया है, तो आप नीचे दिए गए तरीकों से टैक्स में बचत कर सकते हैं:
- जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा: LIC की पॉलिसी और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर आप Section 80C और 80D के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं।
- प्रोविडेंट फंड (PF): आपकी सैलरी से कटने वाला PF भी टैक्स बचाने का एक बढ़िया जरिया है।
- होम लोन: अगर आपने घर लेने के लिए लोन लिया है, तो उस पर चुकाए जाने वाले ब्याज और मूलधन दोनों पर ही टैक्स में छूट मिलती है।
- बच्चों की शिक्षा: बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस के भुगतान पर भी टैक्स में राहत मिल सकती है।
नए सिस्टम में किन बातों का रखें ध्यान?
अगर आप नए टैक्स सिस्टम को चुनते हैं, तो आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा। सबसे पहले तो, आपको यह समझना होगा कि इसमें आप ज्यादातर छूट नहीं ले पाएंगे। इसलिए, आपकी नेट टैक्स लायबिलिटी पुराने सिस्टम के मुकाबले कम होनी चाहिए, तभी यह ऑप्शन सही रहेगा। सूत्रों के मुताबिक, जिन लोगों की आमदनी 7.5 लाख रुपये सालाना से कम है, उनके लिए नया सिस्टम काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हालांकि, हर किसी की फाइनेंशियल स्थिति अलग होती है, इसलिए एक बार CA से सलाह जरूर लें।
आखिर में, इतना ही कहना है कि टैक्स के इन नए नियमों को समझना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं। थोड़ी सी सतर्कता और सही प्लानिंग से आप न केवल टैक्स के नियमों का पालन कर पाएंगे, बल्कि अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा बचा भी पाएंगे। सही ऑप्शन का चुनाव करें, अपने निवेश को समझदारी से प्लान करें और टैक्स के झंझट से मुक्त रहें।